उदयपुर शहर में प्रख्यात मेवाड़ महोत्सव मंगलवार से शुरू
जयपुर, 19 मार्च, 2018। राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग और उदयपुर जिला प्रशासन द्वारा उदयपुर में आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी है और इसका आगाज 20 मार्च से होने जा रहा है। ‘‘गणगौर‘‘ के रूप में लोकप्रिय यह महोत्सव के प्रति उदयपुर वासियों का विशेष लगाव है। प्रत्येक वर्ष हिन्दी महा के अनुसार चैत्र माह (मार्च-अपै्रल) में यह महोत्सव आयोजित किया जाता है और इसका लक्ष्य मेवाड़ की समृद्ध परम्परा को सुरक्षित रखना है। राजस्थान की अपनी एक प्राचीन संस्कृति और परम्परा रही है। इस महोत्सव के दौरान, ईसर (भगवान शिव) और गणगौर (देवी पार्वती) की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें महिलाएं गहनो से लद्कद् होने के साथ ही रंग-बिरंगी चमकीली पोषाक पहन कर इन प्रतिमाओं को शिराधार्य कर ले जाती हैं। घंटाघर होते हुए यह शोभायात्रा पीछोला झील के गणगौर घाट पहुंचती है, जहां इन प्रतिमाओं का पूजन किया जाता है, और बाद में विशेष नौकाओं द्वारा झील की गहराई में ले जा कर विसर्जित कर दिया जाता है।
इस आयोजन की शुरूआत गणगौर की सवारी से 20 मार्च की शाम 4 बजे घंटा घर से होगी जिसमें विभिन्न समुदाय के लोग भाग लेते हैं। शाही गणगौर की शोभायात्रा बंशी घाट से शाम 6 बजे रवाना होगी। इस महोत्सव की विशेषताओं में नौका शोभायात्रा है जिसमें गणगौर पर्व को मनाने के लिए मेवाड़ राजघराने द्वारा विशेष प्रकार की नौका का निर्माण किय गया है। इस नौका में गणगौर माता की सवारी बंशी घाट से गणगौर घाट तक जाती है। यह दोनो घाट पीछोला झील के किनारे हैं।
सभी धार्मिक आयोजन पूर्ण होने के बाद रोमांचक सांस्कृतिक आयोजन और गतिविधिया होती हैं। जिनमें राजस्थानी लोकगीत, लोकनृत्य तथा अन्य मनोरंजक कार्यक्रम होते हैं। तीन दिवसीय इस आयोजन के प्रति उदयपुर वासियों और आस-पास के गांवों  में काफी जोश और समर्पण की भावना रहती है वहीं पूरे विश्व में लोककला के प्रति उत्साही विदेशी भी इसमें हिस्सा रंग-बिरंगी पोशाक पहन कर हिस्सा लेते हैं तथा यहां आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाते हैं।
इसके साथ ही साथ ग्रामीण गणगौर मेले का आयोेजन उदयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर गांव गोगून्दा में भी किया जाता है। इस मेले की शुरूआत लाल गणगौर की शोभायात्रा से होती है, यह शोभायात्रा गोगून्दा के बाजारों से गुजरती हई मेला मैदान जाती है, शोभायात्रा में ग्रामीण महिलाएं अपने सिर पर गणगौर माता को रख कर ले जाती हैं। यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय गरासिया अपने परम्परागत पोशाक एवं आभूषण पहनते हैं। इस मेले का एक और आकर्षण ग्रामीण हाट बाजार है, जो मेला चलने तक खुलता है।
इस महोत्सव के दौरान 21 मार्च की शाम 7 बजे से गणगौर घाट पर विभिन्न सास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे तथा श्रेष्ठ परिधान वो विदेशी युगल चुने जांएगे। इसके साथ ही 20-22 मार्च तक सांस्कृतिक कार्यक्रम मेला मैदान गोगून्दा, उदयपुर में होंगे। मेले के तीनो ही दिन मेला मैदान में आकर्षक आतिशबाजी का आयोजन भी किया जाएगा।
     

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