भारत में ब्रिटिश काउन्सिल के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में उदयपुर में उतरा म्यूजियम ऑफ द मून
उदयपुर। ब्रिटिश काउन्सिल म्यूजियम ऑफ द मून को सिटी पैलेस उदयपुर में 13 से 14 फरवरी, 2018 तक प्रदर्शित किया गया। इसे महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन सिटी पैलेस उदयपुर ने अपना समर्थन प्रदान किया है। म्यूजियम ऑफ  द मून इक्कीस मीटर चौड़ी चांद की एक प्रतिकृति है जिसे नासा लूनर रिकॉन्श्यिस ऑरबिटर कैमरा से प्रतिकल्पित किया गया है और इसे यूके स्पेस एजेंसी टूर्स इण्डिया ने सृजित किया है।
म्यूजियम ऑफ द मून को ब्रिटिश कलाकार ल्यूक जेरेम लैण्ड्स ने भव्य सिटी पैलेस में 13 व 14 फरवरी को महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउन्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबन्धक ट्रस्टी अरविन्द सिंह मेवाड के सहयोग से तैयार किया है, इससे पूर्व यह मुम्बई के हृदयस्थल के जाने वाले गेटवे ऑफ  इण्डिया में 3 व 4 फरवरी को प्रदर्शित किया जा चुका है। इसे दिल्ली और कोलकाता में भी प्रदर्शित किया जाएगा। ब्रिटिश काउन्सिल म्यूजियम ऑफ द मून को ब्रिटेन-भारत सांस्कृतिक वर्ष के अंतिम चरण तथा ब्रिटिश काउन्सिल के लांच के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यहां ला रहा है।
म्यूजियम ऑफ द मून इक्कीस मीटर चौड़ी चांद की एक प्रतिकृति है जिसे ब्रिटिश कलाकार ल्यूक जेरेम लैण्ड्स ने शानदार सिटी पैलेस में 14 फरवरी, 2018 को तैयार किया है। एक अद्वितीय दृश्य के साथ चंद्रमा के इस अनूठे संग्रहालय में अवॉर्ड विनिंग ब्रिटिश संगीतकार डेन जोन्स संगीत मय बनाएंगे। उद्घाटन के अवसर पर इसका नजारा 150 वर्ष बाद हुए चंद्र्ग्रहण के अवसर पर सुपर ब्लड ब्लू मून के रूप में होगा।
ब्रिटिश कलाकार ल्यूक जेरम ने इस अवसर पर कहा कि युगों से चंद्रमा ने समाज और संस्कृति केा प्रभावित किया है, इसे एक देवता के रूप में पूजा जाता है, वही इसे समय पालक माना जाता है वहीं विश्व भर के कलाकार, कवि, वैज्ञानिक लेखक और संगीतकार चंद्रमा से काफी प्रभावित हुए हैं।
दीपक और बिजली आने से पहले चंद्रमा ही रात के समय का पथ प्रदर्शक हुआ करता था। इसके यह पथ प्रदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रकाश स्रोत रहा है, तथा इसकी रोशनी के सहारे शहरी जीवन अपना काम करता था, बिजली के आने के बाद से हम कई प्रकार से चंद्रमा से अलग थलग हो गए हैं। जेरम ने कहा कि मुझे आशा है कि इस परियोजना आश्चर्य की भावना को पुर्नस्थापित करेगी, वही रात के आसमान से कई प्रश्नों को प्रेरित करेगी और लोगों को आसमान से फिर से जोड़ेगी।  
इस अवसर पर ब्रिटिश काउन्सिल, डायरेक्टर इण्डिया एलेन जेमिल ओबीई ने कहा कि हम महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उदयपुर वासियों के सुरम्य सिटी पैलेस की पृष्टभूमि में मून के प्रति इस आकर्षण को देख कर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 को ब्रिटिश काउन्सिल भारत में अपना 70वां साल पूरा कर रही है और यूके-इण्डिया ईयर ऑफ  कल्चर को भी एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। हम इन विगत सत्तर वर्षों में यहां के कलाकारो, छात्रों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं काफी प्रेरितु हैं और हम अपनी गतिविधियां पूरे भारत में आयोजिक करते हैं। इस वर्ष हमने चाहा कि महान वस्तुओं की कहानी साझा करें और नई कहानियां बताएं, ताकि आने वाले 70 वर्ष युवा लोगों से काउन्सिल के सम्बन्धों में और सम्बन्ध विकसित हों, प्रगाढ़ हों। हमें आशा है कि हमारे मून लैण्डिंग उदयपुर के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास का एक हिस्सा बन सकेगा।
Museum of the Moon in Udaipur City,The opening
event has been timed to coincide with the first Super Blood Blue Moon and Lunar Eclipse in
over 150 years,UK-India Year of Culture and 70 years of the British Council in India.