पुरूषवादी दृष्टिकोण में बदलाव जरूरी
जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का विषय “समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन आया है” था जिसके पक्ष और विपक्ष में विभाग के छात्र-छात्राओं ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में गौरव शुक्ला को पहला स्थान मिला। जबकि ताराचंद शर्मा को दूसरा स्थान मिला और अदिति पराशर को तीसरा स्थान हासिल हुआ।  
पक्ष में विचार रखने वाले छात्रों की दलील थी कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन आया है और इसी का नतीजा है कि आज महिलाएँ पहले के मुकाबले हर क्षेत्र में ज़्यादा प्रगति कर रही हैं। वहीं विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए छात्रों ने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिए में कोई खास बदलाव देखने को नहीं आया है। यही कारण है कि महिलाओं के प्रति अपराध की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोत्तरी हो रही है और यहां तक कि महिलाओं के प्रति भेदभाव की शुरूआत जन्म से पहले कोख से ही हो जाती है। अतः समाज के नज़रिए में बदलाव की बहुत आवश्यकता है।
निर्णायक मण्‍डल में अमृता मौर्य और इतिहास विभाग की डॉ. संगीता शर्मा थीं। इस अवसर पर जनसंचार केन्‍द्र के प्रभारी अध्‍यक्ष प्रो. राजन महान ने कहा कि पुरूष और स्त्रियों की बेहतरी के लिए पुरूषवादी दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है । इस कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।