आचार्यश्री का पावापुरी मे हुआ सामैया
शासन की अद्भूत प्रभावना का प्रतीक है पावापुरी - यशोविजय
सिरोही। श्री पावापुरी तीर्थ जीव-मैत्रीधाम मे 18 वे ध्वजारोहण निमित्त सोमवार को भक्तियोगाचार्य श्री यशोविजयसूरी महाराज एवं 34 अन्य साधु-साध्वीयो का पावापुरी मुख्यद्वार पर के पी संघवी रिलिजियस ट्रस्ट एवं तीर्थ संस्थापक के पी संघवी परिवार के प्रमुख किशोर भाई, कीर्ति भाई एवं समीर भाई की अगुवाई मे गाजते बाजते भव्य सामैया किया गया। मुख्यद्वार पर जय जय पावापुरी धाम की संगीत धुन के साथ श्रावक-श्राविकाओ ने ‘‘गुरूजी नो अन्र्तनाद हमने आपो आशीर्वाद’’ के जयकारो के साथ महिलाओ ने मंगलगीत गाते हुऐ अक्षतो से वधामणा किया। इस अवसर पर ट्रस्टी अमृत ए संघवी, मफत भाई मुथा, पुखराज सुराणा, रमण एन संघवी, जीवराज बाफना, रमेश भाई मुथा, भंवरलाल कटारिया, प्रबन्धक सुरेन्द्र जैन, इंजीनियर पंकज प्रजापत, सिरोही की महिला मंडल की श्राविकाएं उपस्थित थी।
आचार्य श्री इस तीर्थ पर 15 साल के बाद आये ओर गाजे बाजे के साथ तीर्थ के मुख्य जिनालय शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मे पहुंचे ओर दर्शन-वंदन किए। तीर्थ संस्थापक परिवार के प्रमुख किशोर भाई ने 15 वर्षो मे हुए विकास व विस्तार की जानकारी आचार्य श्री को बताते हुए कहा कि मुबंई के एक सिंन्धी लखी परिवार ने इस मंदिर मे साढे तीन किलो की महावीर स्वामी व साढे तीन किलो की गुरू गौत्तम स्वामी की स्वर्ण प्रतिमा बनाकर अर्पित की। इसी तरह एक श्राविका ने पावापुरी गौशाला की व्यवस्थाओ से प्रसन्न होकर एक करोड का चैक अर्पित कर गौसेवा का अनुमोदनीय उदाहरण प्रस्तुत किया हैं।
आचार्य श्री ने प्रवेश अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओ को मांगलिक श्रवण कराते हुऐ के. पी. संघवी परिवार की उदारता एवं समर्पण पर आर्शीवाद देते हुऐ कहा कि इस परिवार ने एक ऐसा सुकृत धार्मिक कार्य किया है जिससे सम्पूर्ण जैन समाज ही नही वरन अन्य समाज भी इसकी सराहना कर कुछ सीखने व उसे अपने जीवन मे उतारने का प्रयास करता हैं। यह जिनशासन की एक अद्भुत प्रभावना हैं।
आचार्य श्री व साधु-साध्वियो ने आर्टगेलरी, गोयनका विश्राम गृह, महावीर स्वामी जल मंदिर एवं महान आचार्यो के निर्मित गुरूमंदिरो का अवलोकन किया। मेनेजिंग ट्रस्टी महावीर जैन ने आचार्य श्री को यहां के प्रबन्धन एवं व्यवस्थाओ की पुरी जानकारी देते हुऐ बताया कि ट्रस्ट जैनशासन की आज्ञा के अनुरूप प्रबंधन करता है।
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